11) वो स्कूल का स्काउट कैंप ( यादों के झरोके से )
शीर्षक = वो स्कूल का स्काउट कैंप
एक बार फिर हाजिर हूँ, आप सब के समक्ष अपनी यादों का पिटारा लेकर, इस पिटारे से जो एक गुज़रा पल निकालने जा रहा हूँ उम्मीद करता हूँ वो पल आप लोगो ने भी अपने स्कूल समय में जिया होगा, और उस पल की एक एक याद आपको अभी भी ज्यो की त्यों याद होगी
वो पल कोई और नही स्कूल में लगने वाला तीन दिन का स्काउट कैंप है,जिसमे आपको तीन दिन अपने हाथो से, अपने घरों से लायी चादर और माँ की पुरानी साड़ी और डंडो से बने कैंप में रहना पड़ता है
हम आठवीं कक्षा में थे जब हमारे स्कूल में भी स्काउट केम्प लगने की सूचना हमें मिली, सब बच्चों को बताया गया की अपनी अपनी टीम बना ले और जैसा टीम का मुखिया बताये उस हिसाब से अपने अपने घर से वो समान ले आये
हम डंडे और कुछ पुरानी चादर लेकर गए थे और बाकी बच्चें रस्सीया और भी बहुत कुछ लाये थे, अपने अपने कैंप को खूबसूरत बनाने के लिए
वैसे तो स्काउट की अलग यूनिफार्म होती है, लेकिन फिर भी बहुत से बच्चों ने बिना वर्दी पहने ही उस कैंप में अपनी भागे दारी दी जिसमे मैं और मेरे दोस्त भी शामिल थे , उस समय स्काउट कैंप की वर्दी बनवाना मतलब तीन चारसो रुपयों पर चक्की चलाने जैसा था, इसलिए हम सब बच्चें ऐसे ही दाखिल हो गए स्कूल की यूनिफार्म में
पहले दिन हमें स्काउट के नियम सिखाये गए, उसकी प्रार्थना सिखाई गयी , और साथ में ये भी बताया गया की स्काउट में दुसरे स्काउट se हाथ मिलाना थोड़ा अलग होता है जहाँ हम अपने दोस्तों रिश्तेदारों से हाथ मिलाने के लिए सीधा हाथ आगे करते है , वही स्काउट में हमें उलटे यानी बाये हाथ का इस्तेमाल करना पड़ता है ऐसा इसलिए क्यूंकि हमारा दिल उलटी तरफ होता है और स्काउट में हाथ मिलाने का उद्देश्य दिल से दिल मिलाने से भी है
इसी तरह हम सब बच्चों ने अपने अपने कैम्पो को खूबसूरत बनाने के लिए रंग बिरंगे फूल और घास लगाए और रंग बिरंगा चूना भी डाला और रंगोली भी बनायीं
उन तीन दिनों में हमने बहुत कुछ सीखा , नये नये तरीके की गांठ बांधना सीखी , अपने आप को मुसीबत में पड़ा देख किस तरह उस मुसीबत का सामना करना है और साथ ही साथ किस तरह एकता के साथ एक दुसरे की मदद करते हुए जिंदगी में आगे बढ़ना है
वो कैंप तो तीन दिन बाद समाप्त हो गया और उस दिन दोपहर का खाना हम लोगो ने खुद ही बनाया जो की बहुत ही स्वादिस्ट बना था लेकिन उसकी यादें आज भी हमारे दिलो दिमाग़ में बैठी हुयी है, जिन्हे भूल पाना नामुमकिन सा है
वो दोस्त, वो दोस्तों के साथ गुज़ारा हर एक पल एक सुनहरी याद बन कर हमारे ज़हन में कैद सा हो गया है , वो अध्यापको की डांट, वो सराहना सब कुछ एक पत्थर पर खींची लकीर की मानिंद है जिसे मिटा पाना मुश्किल है , यादों के झरोके से जब भी उन्हे झाँक कर देखा वो वैसे के वैसे ही खड़े हमारा इंतज़ार करते नज़र आते है
पर अफ़सोस अब हम चाह कर भी उनका हिस्सा नही बन सकते, सिर्फ उन्हे याद कर अपनी जिंदगी में थोड़ा मुस्कुरा सकते है
ऐसे ही किसी और याद को आप सब के समक्ष रखने का प्रयास करूंगा जब तक के लिए अलविदा, हस्ते रहिये मुस्कुराते रहिये जो पल बीत रहा है उसे हसीं ख़ुशी जीते रहिये ताकि वो भी एक अच्छी याद बन कर आपके दिल के किसी कोने में जगह बना सके
यादों के झरोके से
Muskan khan
11-Dec-2022 12:57 PM
Amazing
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Rajeev kumar jha
11-Dec-2022 12:09 PM
बेहतरीन
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Sachin dev
11-Dec-2022 11:58 AM
Well done
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